चेरिया बरियारपुर (बेगूसराय) : भगवती बिषहरी के प्राचीन मनोकामना मंदिर कुंभी में मंगलवार के दिन श्रद्धालुओ का तांता सुबह से ही प्रारंभ हो जाती है। वही स्थानीय शिवशंकर यादव, रामचरित्र महतो, गणेश महतो, जयप्रकाश यादव, रामबिलाश सहनी, संतोष पासवान, अशोक कुमार महतो, उमेश शर्मा आदि बताते हैं इस मंदिर का पुराना लगभग दो सौ अधिक वर्ष पूर्व का इतिहास है। सहरसा के सप्तदवारी में भगवती की भव्य मंदिर है। जहां पर सातनपुर के एक शर्मा जी काम करते थे, साथ ही माता का भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते थे। जब शर्मा जी घर निकलने लगे माता से सत करवाकर साथ चलने के लिए निवेदन किया।

 

तो माता ने भी रात्रि में अगर रास्ते में जहां रख दोगे मैं वहीं रह जाऊंगी। शर्मा जी जब कुंभी पहुंचे तो बहुत रात हो गई, और शिवदयाल यादव के घर पर रुक गए। सुबह में शर्मा जी चलने लगे तो माता शर्त के अनुसार कुंभी में ही रह गई। और भायलाल भगत के शरीर में प्रवेश कर अपना रुप प्रकट कीं। तब शिवदयाल यादव ने माता सत करवाया कि पूरे गांव के लोग बहियार में रात भर रहते हैं। माता मेरे गांव के लोग सांप-बिच्छू के डंक से बचे रहें। माता ने बचन दिया और आज भी इस गांव में सांप-बिच्छू के डंक से किसी के साथ अनहोनी नहीं हुई है। तब गांव में माता का मंदिर बनाकर स्थापित किया गया। और जान के बदले बकरे की बलि देने का सिलसिला अनवरत जारी है। भगवती बिषहरी की विशेष कृपा इस गांव पर है। यहां के लोग प्रदेश मे रहने पर भी सांप के डंसने पर मंदिर कि दिशा मे मुख कर भगवती के स्मरण मात्र से ठीक हो जाते हैं।

 

ग्रामीणों की माने तो इस स्थान पर प्रत्येक मंगलवार को दूर दूर से इस स्थान पर आते है तथा इस स्थान पर जो भी मुरादे मांगते है वो पूरी होती है। इस देव स्थल पर कोशो दूर से लोग आते है हर मंगलवार को देवी मंदिर परिसर में छोटी मोटी मेले का आयोजन होता है। जिसमे अधिकतर श्रृंगार का सामान,प्रसाद व खिलौने के दुकान होते है।

Google search engine
Previous articleमुजफ्फरपुर में बाजार समिति में मतगणना केंद्र पर हारे हुए प्रत्याशियों के द्वारा किया गया पथराव जमकर चला ईट-पत्थर
Next articleदहिया गांव में रिलायबल पैथो डायग्नोस्टिक के कलेक्शन सेन्टर का हुआ उद्घाटन