वाणीश्री न्यूज़, सोनपुर। हरिहरनाथ मन्दिर के सत्संग भवन में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भगवद्गीता व राम कथा का मंगलवार को समापन हो गया । पिछले सात दिनों से बाबा हरिहर नाथ सोनपुर के प्रांगण में बिहार के पूर्व डीजीपी कथा वाचक श्री गुप्तेश्वर पांडेय जी महाराज के मुखारविंद से कहे जा रहे श्रीमद्भागवत कथा का आज समापन हो गया। उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए महाराज जी ने कहा भागवत कथा का श्रवण करने मात्र से कई यज्ञ करावने का पूण्य हमे प्राप्त होता है साथ ही भागवत कथा न सिर्फ हमारे चित्त औऱ मन की शुद्धि करता है बल्कि हमारे अन्दर मौजूद रजोगुणी प्रभाव को कम करते हुए, सतोगुण के प्रभाव की बढ़ोतरी करता है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य सत्कर्म की राह पर अग्रसर होता है उसके अंदर व्याप्त लोभ, लालच, काम- क्रोध, मक्कारी, बेईमानी इत्यादि अवगुणों का तेजी से नाश होता है।
उन्होंने ने कहा मनुष्य योनि में जन्म कई लाख जन्मों की यात्रा के पश्चात किये गए सत्कर्मो की वजह से हमें प्राप्त होता हैं, इसीलिए इसे व्यर्थ न गवाएं बल्कि स्वयं को अपने कर्मो से अमर कर जाएं क्योंकि हमारा शरीर नश्वर होता हैं लेकिन कर्म अमर होता औऱ कर्म उसी का अमर होता हैं जो सत्कर्म करता हैं। कुकर्मी औऱ पापियों का कर्म कभी अमर नही होता है । इस मौके पार्श्व गायिका इंडियन आइडल फेम रूपम राम्या ने भी अपनी भक्तिमय भजनों की प्रस्तुति से भक्तों का मन मोह लिया, महाराज जी के अनन्य भक्त विजय सिंह लल्ला ,निर्भय कुमार ,कृष्ना प्रसाद सहित अन्य भक्तगण ने कहा कि जिस प्रकार से आदरणीय गुरुदेव गुप्तेश्वर पांडेय महाराज जी पिछले सात दिनों से कथा कह रहे थें ऐसा लग रहा था मानो पूरा सोनपुर भक्ति की रस में डूब गया हैं।
कथा में हर प्रकार का भाव स्पष्ठ दिख रहा था, कई दफा तो कथा कहते कहते प्रभु की भक्ति में गुरु जी इतने तल्लीन हो जाते थे कि उनके आंखों से प्रेम की अविरल धारा बहने लगती थी औऱ उनको इसका आभास तक नही होता था। पूरे कथा सत्र को सम्पन्न कराने में मुख्य रूप से मन्दिर कमेटी के सचिव विजय सिंह लल्ला, कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार सिंह, किशलय किशोर, सुशील चन्द्र शास्त्री, बमबम पांडेय, की प्रमुख भूमिका रही। वही राकेश सिंह, राजकिशोर सिंह, कवि सीताराम सिंह, स्वयं प्रकाश जी, मौनी बाबा, अयोध्या से आए परम् पूज्य बालक दास जी महाराज, दिनेश सहनी, गणिनाथ रॉय, प्रो० चन्द्र भूषण तिवारी, अशोक सिंह इत्यादि लोगों की गरिमामयी उपस्थिति थी।