दिल की गहराइयों में
तुम्हें छुपा रखा,
अपने चेहरे की मुस्कराहट में
तुमको जमा रखा है।
सोचता हूं
तुमको भूल जाऊं,
मगर प्रकृति के कण-कण में
फैली खुशबू में
तुमको समा रखा है।
सोचता हूं
तुमको छोड़ दूं,
मगर अंतर्मन की
बिखरी सिमटी गहरी यादों में
तुमको छुपा रखा है।
सोचता हूं
मैं काफ़िर हो जाऊं,
मगर तेरी यादों की गहराई ने
आज भी मुझे
आशिक बनाए रखा।
लेखक:
राजीव डोगरा ‘विमल’
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
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