अखिल भारतीय शिक्षा मंच के अध्यक्ष आलोक आजाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार के अस्सी हजार वित्तरहित शिक्षकों तथा कर्मचारियों को झारखंड सरकार के तर्ज पर वित्तरहित शिक्षा नीति को समाप्त कर नियमावली बनाकर सभी वित्तरहित शिक्षकों तथा कर्मचारियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतनमान देने का अनुरोध किया है।
आलोक आजाद ने कहा की संयुक्त बिहार में वित्तरहित शिक्षा नीति की शुरुआत एक साथ हुई थी। कालांतर में बिहार और झारखंड बंटवारा के बाद वित्तरहित शिक्षा नीति भी दो राज्यों बिहार और झारखंड में विभाजित हो गई थी। इस क्रम में झारखंड की सरकार वित्तरहित स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के संख्या और रिजल्ट के आधार पर अनुदान दें रही थी जबकी बिहार सरकार ने बिहार के वित्तरहित माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तथा डिग्री कालेजों में परीक्षा के उत्तीर्णता के आधार पर अनुदान दे रही हैं।इसमें भी अनुदान की अधिकतम सीमा पचास लाख तय कर दी गई है।
वहीं कम उत्तीर्णता पर अनुदान की राशि कम कर दी जाती है।ऐसी स्थिति में कम उत्तीर्णता पर विधालयों में शिक्षकों तथा कर्मचारियों के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता है वहीं ज्यादा रिजल्ट पर अनुदान की अधिकतम सीमा तय करने के कारण यदि अनुदान की राशि एक करोड़ भी हो जाए तब भी मात्र पचास लाख मिलने से मेहनताना की राशि भी नहीं मिल पाती है।
आलोक आजाद ने कहा की अनुदान की राशि भी समय से नहीं मिलने के कारण हजारों शिक्षक तथा कर्मचारी पैसे के अभाव में मौत के मुंह में जा चुके हैं। बावजूद सरकार के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगता है।
आलोक आजाद ने मुख्यमंत्री से कहा की बिहार के अस्सी हजार वित्तरहित माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तथा डिग्री शिक्षकों तथा कर्मचारियों तथा इनके परिवार के उज्जवल भविष्य को देखते हुए झारखंड के तर्ज पर इन्हें भी विहित वेतनमान देकर बिहार के शिक्षा व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन का शंखनाद कर अमर हो जाइए।