मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहे लाख स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है कुछ जगहों को छोड़ दे तो ग्रामीणों इलाको स्वास्थ्य सेवाओं के नामपर सिर्फ खानापूर्ति ही है। आज हम बात कर रहे है जिले के मीरगंज स्थित स्वास्थ्य उप केंद्र की जहा की स्थिति बद से बद्दतर बनी हुई है। करीब पचीस कठे के छेत्र में फैला यह स्वास्थ्य केन्द्र आज अपनी बदहाली एवम उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। फिर चाहे डॉक्टर्स चेम्बर हो या दवा वितरण केंद्र या फिर जांच घर हर तरफ छतो से पानी टपक रहा है और दीवाल तथा छत से सीमेंट का पपड़ी गिरता रह रहा है।
यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मी भी सहमे सहमे ही जाते है। इस स्वास्थ्य केंद्र के छत पर गिरा एक बूंद पानी भी बाहर नही जाता चौबीसो घंटे अंदर ही टपकता रहता है जिससे सरकार द्वारा लगाए गए महंगे उपकरण एवम दवाये भी खराब होते जा रहे है। करीब दो लाख से भी ज्यादा की आबादी इस स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है लेबर रूम तो बनाये गए है लेकिन गंदगी का आलम ये है कि स्वस्थ आदमी भी संक्रमित हो जाये।