एस. एफ.आई सुल्तानपुर नें मांग दिवस के अवसर पर विभिन्न मांगों को लेकर जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को जिलाधिकारी व माननीय मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौपा

वैश्विक महामारी कोविड-19 का असर प्रत्यक्ष रूप से हमारी शिक्षा पर पड़ा है. अकादमिक सत्र बीच में ही रुक जाने से पाठ्यक्रम का एक अच्छा ख़ासा हिस्सा छूट गया. उसकी भरपाई के लिए कुछ संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाओं को एक विकल्प के रूप में लिया. लेकिन सारे विद्यार्थियों तक डिजिटल संसाधनों और अच्छे इन्टरनेट की अनुपलब्धता से ऑनलाइन कक्षाएं महज़ औपचारिकता तक सिमट रह गयी. जो संस्थान औपचारिकतावश किसी तरह कुछ कक्षाएं चला भी पाए थे उनमे भी विद्यार्थियों की उपस्थित 30 से 40 प्रतिशत ही रही. छात्राओं की उपस्थिति और भी कम रही. ऑनलाइन कक्षाएं शिक्षा के समावेशी लक्षण से इतनी दूर हैं कि बड़े पैमाने पर छात्र-छात्राएं इससे छूट गए. ऑनलाइन कक्षाओं से छूट गए छात्र-छात्राओं की समीक्षा तक ढंग से नहीं की गई. सरकार को यह समझना होगा कि फेसबुक और व्हाट्सऐप चलाना तथा डिजिटल लिटरेसी दो अलग अलग चीज़ें है. यही वजह है कि आधे से ज़्यादा अध्यापक खुद उन प्लेटफार्म और ऐप्लिकेशन का ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और लिंक भेज-भेज कर कक्षाओं की गिनती करने पर मजबूर हैं.
इसी पृष्ठभूमि में संस्थानों द्वारा परीक्षा कराने के आदेश भी दिए जा चुके हैं. ऐसे समय में जब संक्रमण अपनी चरम सीमा पर है और शारीरिक दूरी बहुत ज़रूरी है, ऑफलाइन परीक्षाएं संक्रमण के लिहाज़ से ख़तरनाक ही साबित होंगी. ऐसे में सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाना चाहिए तथा अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था सोची जानी चाहिए.
जिला मंत्री सौरभ मिश्र ने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा कराने का निर्णय वापस लिया जाना चाहिए. कई शिक्षण संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
इंटीग्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ ने ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए टाइम-टेबल भी जारी कर दिया है. कई सारे विद्यार्थी अपने गाँव में हैं. इन विद्यार्थियों की शिकायत है कि गाँवों में इन्टरनेट की स्थिति ज़्यादा खराब है और बीच मे यदि इंटरनेट चला जाता है तो परीक्षा बाधित होगी. ऐसे में ऑनलाइन परीक्षाओं की बाध्यता उन्हें परीक्षा से वंचित ही करेगी। यह सिर्फ़ इंटीग्रल यूनिवर्सिटी भर की समस्या नहीं है,प्रदेश के अन्य कई शिक्षण संस्थानों द्वारा परीक्षा कराने की बात कही है . ऑनलाइन कक्षाओं और परीक्षाओं की बाध्यता के कारण बहुत बड़े पैमाने पर छात्र-छात्राएं अपनी शिक्षा छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।
इस समय जब पूरे देश में तालाबंदी लागू थी निजी विद्यालयों द्वारा बड़े पैमाने पर फ़ीस वसूली का मामला सामने आया है. सरकार की तरफ़ से भी इस सन्दर्भ में कोई स्पष्ट आदेश नहीं जारी हुआ जिससे इन विद्यालयों द्वारा मनमानी की जा रही है . कोरोना के चलते लगभग 15 करोड़ रोज़गार ख़त्म हुए हैं. गेहूं की फसल की उचित दाम पर खरीद न होने से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थितियां और भी ज़्यादा ख़राब हुई हैं.
जिला अध्यक्ष सैफ खान ने कहा कि इस आपातकाल में तमाम ऐसे छात्र जो किराए के कमरे पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं उनके लिए किराए का संकट आया है, उनके किराए को माफ़ किया जाय या उनको किराया भत्ता दिया जाय और रुकी हुई छात्रवृत्ति और फेलोशिप का भुगतान तुरंत कराया जाय,
लॉकडाउन के दौरान स्कूलों की तीन महीनों की फ़ीस माफ़ की जाय,छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रोमोट किया जाय ।
आज के मांग दिवस के कार्यक्रम में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए
इस कार्यक्रम में राजीव तिवारी , सलिल धुरिया, सुनील धुरिया, अखंड प्रताप सिंह ,बृजेश यादव, पार्थ द्विवेदी, समेत दर्जनों साथी मौजूद रहे हैं