
चंदन कुमार, मुजफ्फरपुर: यशोमती मैया से बोले नंदलाला…, यमुना किनारे मटकी फोड़े रे कन्हैया…, नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की… आदि बधाई गीत बज रहे थे। खासतौर पर युवतियां व महिलाएं बालकृष्ण की बलैया ले रही थीं। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि मंगलवार की आधी रात को श्रीकृष्ण की जन्म की खुशियां मनाई जाने लगी। हाथी घोड़ा पालकी-जय कन्हैया लाल की… जयकारे से शहर के राधा-कृष्ण समेत अन्य मंदिर गूंज उठे।
विशेष पूजा-अर्चना के बाद माखन-मश्रिी आदि प्रसाद व पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई। जन्माष्टमी का उपवास रखने वाले व्रतियों ने पंचामृत व प्रसाद ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद लिया। इसके बाद फलाहार ग्रहण किया। पहले दिन गृहस्थों ने उपवास रखा था। दूसरे दिन बुधवार को साधु-संत जन्माष्टमी मनाएंगे। कोरोना का प्रकोप रहने के कारण मंदिरों में केवल पुजारियों ने ही पूजा-अर्चना व शृंगार किया। श्रद्धालुओं ने अपने घर में ही बालकृष्ण की झांकी सजायी।