
रिपोर्ट: अभिषेक भारती, तेघरा ( बेगुसराय): विश्व स्तनपान सप्ताह जो कि 1 से 7 अगस्त तक पूरे प्रखंड में थीम के साथ मनाया जा रहा है, इसके अंतिम दिन शुक्रवार को भी लोगो के बीच स्तनपान से संबंधित जानकारी देने का कार्यक्रम और गृह भ्रमण कर किया गया।
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, तेघड़ा के निदेशानुसार श्रीमती कुमकुम कुमारी (एल. एस.) द्वारा स्तनपान जागरूकता हेतु गर्भवती और धात्री माताओं के साथ साथ उनके परिवार के अन्य सदस्यों की एक बैठक फुलवरिया 3 में आयोजित की गई जिसमे संजय कुमार (ब्लॉक ट्रांसफॉर्मेशन ऑफिसर) पीरामल फाउंडेशन के द्वारा स्तनपान से संबंधित चर्चा की गई और इसके महत्व के बारे में बताया गया। जिसमें स्तनपान से संबंधित चित्र को इंक्रीमेंटल लर्निंग अप्रोच के मॉड्यूल से दिखा कर समझाया गया।
ज्ञातव्य हो कि हालिया एक रिपोर्ट के अनुसार छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर सामान्य रोग जैसे दस्त एव निमोनिया के खतरों में क्रमशः 11% एवं 15% की कमी लाई जा सकती है। 2016 की लेंसेट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए प्राप्त होता है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है।
नवजात को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान प्रारंभ कराया जाए। छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए और शिशु के छह माह पूरे होने पर संपूरक आहार देना प्रारंभ किया जाए।
*स्तनपान से माँ और शिशु को होने वाले फायदे*
• शिशु के लिए अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध।
• माँ और शिशु के बीच में भावनात्मक जुड़ाव पैदा होता है।
• दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
• शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाता है।
• प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है।
• स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय के कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं।
• शिशु की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में बेहतर विकास होता है।