वाणीश्री न्यूज़, वैशाली, नलिनी भारद्वाज।एक तरफ जहां राज्य सरकार बच्चों को अच्छे माहौल में शिक्षा उपलब्ध कराने को लेकर विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है वहीं दूसरी ओर स्थानीय पदाधिकारी या कर्मी द्वारा सरकार को अंगूठा दिखाने का कार्य किया जा रहा है। हम बात करते हैं माइल पंचायत की जहां प्राथमिक विद्यालय माय उर्दू की भवन की व्यवस्था ऐसी है कि कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है।

भवन निर्माण कराने वाले प्रधानाध्यापक और उस वक्त के अभियंता को छात्रों की सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रहा। तभी तो भवन निर्माण कराने के वक्त विद्यालय के ऊपरी मंजिल पर कोई सुरक्षा का व्यवस्था नहीं किया गया। बताते चलें कि ऊपरी मंजिल पर जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ते हैं उस पर कोई चहारदीवारी नहीं बनवाया गया।

हद तो यह है कि भवन निर्माण से अब तक इस पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी और सभी आला अधिकारी या फिर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बच्चों की जान को जोखिम में रखकर शिक्षण का कार्य करा रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि कभी भी अनहोनी हो सकती है और जब किसी अनहोनी का शिकार कोई माता-पिता हो जायेंगे तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा। क्या मकान बनाते समय चहारदीवारी का निर्माण नहीं हो सकता था अगर किसी कारण बस नहीं हुआ तो फिर अभी तक क्यों नहीं कराया गया। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?

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