कांवड़ यात्रा में आस्था के साथ आत्मानुशासन भी आवश्यक : मनोज कुमार अग्रवाल

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कावंडियो की भीड़ का दबाव बढ़ने से फैली अव्यवस्था और प्रशासनिक बदइंतजामी अनेक कावंडियो की जान पर भारी पड़ गई है। बड़े बड़े डीजे पर बजते फूहड़ गाने, भौंडे नृत्य और उग्र व्यवहार कांवड़ की पवित्रता को कलंकित कर रहे हैं। विभिन्न समाचारों का विश्लेषण बताता है कि कांवड़ यात्रा के दौरान दो सौ से अधिक जान जा चुकी हैं इनमें से ज्यादातर मौत सड़क दुर्घटना और अधिक ऊंचाई वाले डीजे वाहनों में बिजली करंट प्रवाहित होने के कारण हुई हैं।

दिल दहला देने वाली सबसे ज्यादा ह्रदय विदारक घटना बिहार के वैशाली जिले में हाई वोल्टेज बिजली तार की चपेट में आने से हुई।जिसमें 9 कांवड़ियों की मौत हो गई। ये सभी एक वाहन पर सवार होकर हरिहरनाथ मंदिर जलाभिषेक करने जा रहे थे। वहीं दूसरा हादसा भी बिहार के कटिहार में हुआ ।कटिहार में दो बाइक के बीच हुई टक्कर में चार कांवड़ियों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि मनिहारी थाना क्षेत्र के कुमारीपुर के पास यह घटना हुई है।

सीतापुर जिले के महमूदाबाद थाना क्षेत्र में चार कांवड़ियों को जयरामपुर गांव में एक वाहन ने रौंद दिया। हादसे में घायल कांवड़िया नेहा (17) को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, वहीं तीन अन्य अरुण (14), रजनी (22) व सजनी (16) की हालत नाजुक देखते हुए उन्हें उन्हें ट्राॅमा सेंटर रेफर किया गया था। बिहार के सीतामढ़ी में एक दर्दनाक हादसे में 25 कांवड़ियों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली नहर में पलट गई। इस दुर्घटना में एक महिला की मौत हो गई और अन्य सभी घायल हो गए।

इसके पहले लखीमपुर खीरी जिले में अलग-अलग हादसों में चार कांवड़ियों की मौत हो गई। मरने वालों में दो सगे भाई थे। ये दोनों जल भरने के दौरान घाघरा नदी में डूब गए थे। अन्य दो कांवड़ियों की मौत अलग अलग सड़क हादसों में हुई है। मुजफ्फरनगर कांवड़ मार्ग पर हादसों, हीट स्ट्रोक और बुखार से अलग-अलग जगह छह कांवड़ियों की मौत हो गई, जबकि 25 घायल हैं।
30 जुलाई को सहारनपुर के सरसावा थाना क्षेत्र के रुड़की पंचकुला नेशनल हाईवे की नीचे करंट लगने से दो कावड़ियों की मौत हो गई थी । दोनों कांवड़िये ट्रैक्टर पर सवार होकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गांव लौट रहे थे।

5 अगस्त को गजरौला जेपीनगर में दिल्ली-लखनऊ मार्ग पर शिव भक्तों की दो बाइकें आपस मे टकरा गई।इस हादसे में दो शिवभक्तों की मौके पर मौत हो गई जबकि तीन घायल हो गए। 4 अगस्त को मुरादाबाद में हाईवे पर कार की टक्कर से स्कूटी सवार दंपति की मौत हो गई जबकि उनकी 12 वर्षीय बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई।नोएडा में 3 अगस्त को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर बाइक अनियंत्रित होकर गिरने से दिल्ली के दो कांवडियों की मौत हो गई। दोनों हरिद्वार से जल लेकर दिल्ली की ओर जा रहे थे। मृतकों की पहचान दिल्ली दिलशाद कॉलोनी के 22 वर्षीय शुभम पांडेय व 24 वर्षीय राहुल दुबे के रूप में हुई।

4 अगस्त को मध्य प्रदेश के सागर जिले के शाहपुर क्षेत्र में सावन का महीना होने के कारण बच्चे कच्ची मिट्टी से हरदौल मंदिर के करीब शिवलिंग बनाने के लिए इकट्ठा हुए थे।इसी दौरान एक मकान की दीवार गिर गई। दीवार के मलबे की चपेट में बड़ी संख्या में बच्चे आ गए। नौ बच्चों की मौत हो गई। कई अन्य घायल हो गए।

5 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में सड़क हादसे में तीन कांवड़ियों की मौत हो गई। ये तीनों लोग बुलंदशहर के राजघाट से डाक कांवड़ लेकर वृंदावन आए थे। 1 अगस्त को हिसार हरियाणा दिल्ली बाईपास पर रात को वर्षा में कांवड़ शिविर का पंडाल गिरने से सेवादार शिव नगर निवासी 33 वर्षीय जितेंद्र की करंट लगने से मौत हो गई । 2 अगस्त को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ में ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से दो कांवड़ियों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए।

31 जुलाई को हापुड़ जिले के बहादुरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव डहरा कुटी के पास कैंटर से डाक कांवड़ लेने जा रहे कांवड़िये हाईटेंशन तार की चपेट में आ गए। करंट से दो कांवड़िये गोपी पाल (23) व ललित पाल (22) की मौत हो गई। 31जुलाई को यूपी के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में एक कांवड़िये की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए,दरअसल, मिनी ट्रक में बंधा डीजे और जनरेटर कांवड़ियों के ऊपर गिर गया था।29 जुलाई को यूपी के गाजीपुर में तेज रफ्तार बोलेरो की टक्कर से दो नाबालिग कांवड़ियों की मौत हो गई, वहीं, दो से तीन कांवड़िये घायल भी हो गए।

एक अगस्त को झारखंड के लातेहार जिले में पांच कांवड़ियों की करंट लगने से मौत हो गई, जबकि तीन अन्य झुलस गए। पुलिस के अनुसार कांवड़ियों का वाहन तेज वोल्टेज वाले तार के संपर्क में आया जिससे यह हादसा हुआ। तीर्थयात्री देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से लौट रहे थे। लखीमपुर खीरी जिले में भी सड़क हादसों में दो कांवड़ियों की मौत हो गई। नकहा क्षेत्र में कांवड़ लेकर जा रहा श्रद्धालु ट्रॉली के नीचे आ गया था। दो कांवड़िये घायल भी हुए हैं।

31 जुलाई को हरियाणा के शहर सीवन निवासी दो शिव भक्तों की तिरंगा कांवड़ लाते समय करंट लगने से मौत हो गई। इस हादसे का शिकार 22 वर्षीय कुलदीप सिंह बीए में पढ़ता था। 20 वर्षीय लखन फिलहाल फर्नीचर का काम सीख रहा था। दो अगस्त को कुरूक्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग पर चंदाना मोड़ के नजदीक सड़क दुर्घटना में एक कांवडिये की मौत हो गई।

उत्तराखंड के हरिद्वार से जल लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की कांवड़ यात्रा बीती 22 जुलाई से शुरू हुई और 2 अगस्त को समाप्त हुई।इस कांवड़ यात्रा में 4 करोड़ 14 लाख 44 हजार शिवभक्त कांवड़िये हरिद्वार पहुंचे,12 दिनों तक चली कांवड़ यात्रा के दौरान विभिन्न दुर्घटना में रूड़की क्षेत्र में 109 कांवडिए चोटिल हुए जबकि छह कांवड़ियों की दुघर्टनाओं में मृत्यु हो गई।

उक्त घटनाओं के विवरण तो सिर्फ नमूना भर है।इनके अलावा भी देश भर में कांवड़ यात्रा के दौरान सैकड़ों घटनाओं में अनेक लोग काल कवलित हुए हैं। सवाल उठता है कि श्रद्धा,भक्ति,आस्था और विश्वास के इस आयोजन में आत्म अनुशासन की कमी ,आक्रामकता ,जोश में होश खोने की प्रवृत्ति क्यों हावी हो रही है।मुजफ्फरनगर में एक मामूली सड़क हादसे के बाद कथित कांवड़ियों की मारपीट से तिपहिया चालक मोहित (22)की मौत, कई जगहों पर पुलिस व प्राइवेट वाहनों में तोड़फोड़ उपद्रव मचाना कौन सी धार्मिकता और श्रद्धा का प्रदर्शन है? धार्मिक विश्वास में सदाचार, संस्कार, नैतिकता, परोपकार ,करुणा का समावेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।धर्म के दस लक्षणों में धृति(धैर्य) ,क्षमा, संयम, शुचिता ,सत्य ,पवित्रता, सत्कर्म ,इंद्रिय संयम, अस्तेय (चोरी नहीं करना) और क्रोध पर नियंत्रण बताया गया है ।

इनको अंगीकार करना ही शिवत्व है,धर्म है। लेकिन यह कैसी विडंबना है कि चंद मुठ्ठी भर शरारती अराजक तत्व डीजे की ऊंचाई और शरीर को कंपकंपा देने वाले शोर में धर्म खोज रहे हैं और श्रद्धालु कांवड़ियों को बदनामी दिला रहे हैं। दुर्भाग्य यह भी है कि तमाम शंकराचार्य, संत ,स्वामी, धर्माचार्य बड़े बड़े आश्रमों में बैठे हैं लेकिन दिग्भ्रमित होती युवा पीढी को सद् मार्ग की प्रेरणा देने के लिए कोई बाहर नहीं आया। जिन सैकड़ों परिवारों के लाल इस अतिरिक्त जोश भरे अतिवाद, उन्माद और बदइंतजामी में जान गंवा गए क्या कोई सरकारी राहत उन बच्चों की कमी की भरपाई कर सकती है? इनमें से कई परिवारों के भविष्य में अंधकार भर गया है। जरूरत है कि इन आयोजनों को नैतिकता,सदाचार और आत्मानुशासन से मनाया जाए। (विनायक फीचर्स)

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