
न्यूज़ डेस्क, पटना/हाजीपुर: बिहार की वैशाली 125 विधानसभा सीट पर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार चयन को लेकर पार्टी के भीतर और सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार, इंजीनियर संजीव सिंह को टिकट दिए जाने की ख़बरों के बाद, स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता खुलकर विरोध में आ गए हैं।
#VaishaliVidhansabha ट्रेंडिंग में:
विरोध की यह लहर इतनी तेज़ है कि ट्विटर पर #VaishaliVidhansabha हैशटैग देश भर में चौथे स्थान पर ट्रेंड कर रहा है। कार्यकर्ता इस टिकट वितरण को “जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी” और “बाहरी पैरवी का दबाव” बता रहे हैं।
विरोध का मुख्य कारण:
स्थानीय कार्यकर्ताओं के अनुसार, इंजीनियर संजीव सिंह बाहरी उम्मीदवार हैं और उनकी पैरवी किसी दूसरे राज्य के प्रभावशाली नेता द्वारा की जा रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह टिकट वितरण जमीनी हकीकत और स्थानीय कार्यकर्ताओं की वर्षों की मेहनत को नज़रअंदाज़ कर किया जा रहा है।
आपराधिक मामलों का मुद्दा:
विरोध प्रदर्शनों में ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के आँकड़ों का हवाला दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं का दावा है कि इंजीनियर संजीव सिंह पर 6 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
एक वरिष्ठ स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जिस उम्मीदवार पर आपराधिक मामले दर्ज हों, और जो बाहरी पैरवी के दम पर टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहा हो, उसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। यह कांग्रेस और महागठबंधन की छवि को नुकसान पहुंचाएगा।”
‘हारे हुए को फिर हराएंगे’ की चेतावनी:
कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि कांग्रेस या महागठबंधन ऐसे अलोकप्रिय और दागी उम्मीदवार को टिकट देती है, तो वे पिछले विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी इंजीनियर संजीव सिंह को हराने के लिए एकजुट होंगे।
कार्यकर्ताओं का स्पष्ट संदेश है कि “बाहरी उम्मीदवार और बाहरी पैरवी वैशाली में नहीं चलेगी।”
कांग्रेस नेतृत्व को अब यह तय करना होगा कि वह स्थानीय कार्यकर्ताओं के आक्रोश और सोशल मीडिया पर बढ़ते विरोध को ध्यान में रखती है, या फिर बाहरी दबाव के आगे झुककर एक विवादित उम्मीदवार को मौका देती है।