Guru Purnima 2024: सदियों से चली आ रही गुरु शिष्य परंपरा को निभाएंगे सीएम योगी, शिष्यों को तिलक लगाकर देंगे आशीर्वाद

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 <p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur News:</strong> गुरु पूर्णिमा का दिन सदियों से चली आ रही गुरु और शिष्&zwj;य की परम्&zwj;परा का वाहक है. इस दिन जहां शिष्&zwj;य अपने गुरुओं को नमन करते हैं और उन्&zwj;हें गुरु दक्षिणा स्&zwj;वरूप उपहार देते हैं. तो वहीं गुरु भी शिष्&zwj;य को उनके उज्&zwj;ज्&zwj;वल भविष्&zwj;य की शुभकामना और आशीर्वाद देकर कृतार्थ करते हैं. गोरक्षपीठ के लिए ये दिन खास है. सदियों से इस पीठ में गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्&zwj;य अपने गुरु का नमन करते हैं. मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के रूप में संतो, शिष्&zwj;यों, भक्&zwj;तों और शुभचिंतकों को तिलक लगाकर उन्&zwj;हें आशीर्वाद देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्&zwj;तर प्रदेश के मुख्&zwj;यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत योगी आदित्&zwj;यनाथ शनिवार को &nbsp;गोरखपुर पहुंच चुके हैं. रविवार को एक सप्&zwj;ताह से चल रही श्रीराम कथा सम्&zwj;पन्&zwj;न होगी. इसके बाद को दोपहर 11.30 बजे गोरक्षपीठ के महंत के रूप में मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु गोरखनाथ बाबा का पूजन-अर्चन और पितातुल्&zwj;य गुरु ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर जाकर उन्&zwj;हें नमन कर आशीर्वाद लेंगे. गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के रूप में मंदिर में आए अपने शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्&zwj;मृति सभागार में आशीर्वचन भी देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीठाधीश्वर की भूमिका का करेंगे निर्वहन&nbsp;</strong><br />इस दिन मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ जहां शिष्&zwj;यों को तिलक लगाकर पीठाधीश्&zwj;वर की भूमिका का निर्वहन करेंगे. तो वहीं वे विशेष दंडाधिकारी की भी भूमिका में रहेंगे. वे नाथ संप्रदाय के संत-महंतों की समस्&zwj;याओं का निस्&zwj;तारण भी करेंगे. विशेष दंडाधिकारी की भूमिका में उनका निर्णय नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी संत-महंत को मान्&zwj;य होगा. उनके निर्णय के आगे कोई कही भी अपील नहीं कर सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गोरखनाथ मंदिर में सुबह 5 बजे से ही गुरु पूर्णिमा का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा. मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु पूर्णिमा की सुबह 5 बजे महायोगी गुरु गोरखनाथ का पूजन कर रोट का प्रसाद चढ़ाएंगे. उसके बाद मुख्&zwj;यमंत्री मंदिर के सभी देव विग्रहों की पूजा अर्चना करेंगे. सुबह 6.30 बजे से 7 बजे तक सामूहिक आरती का कार्यक्रम सम्&zwj;पन्&zwj;न होगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के सभी पुजारी और मंदिर के निकट सहयोगी शामिल होंगे. सुबह 10 बजे से 11 बजे तक स्&zwj;मृति सभागार कार्यक्रम होंगे. उसके बाद 11.30 बजे मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ के आगमन के बाद गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा के तिलक और आशीर्वचन का कार्यक्रम सम्&zwj;पन्&zwj;न होगा. उसके बाद मंदिर परिसर में सहभोज आयोजित होगा. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नाथ सम्&zwj;प्रदाय में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व</strong><br />गोरक्षपीठ और नाथ सम्&zwj;प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा का विशेष महत्&zwj;व है. सदियों से ये परम्&zwj;परा चली आ रही है. कालान्&zwj;तर में बाबा मत्&zwj;स्&zwj;येन्&zwj;द्र नाथ ने गुरु गोरखनाथ को दीक्षा दी थी. उसी प्रकार बाबा गंभीरनाथ के बाद से ये क्रम लगातार जारी है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को अपना उत्&zwj;तराधिकारी घोषित किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर बनें. उसके बाद उन्&zwj;होंने योगी आदित्&zwj;यनाथ को अपना दत्&zwj;तक पुत्र और शिष्&zwj;य बनाकर उन्&zwj;हें उत्&zwj;तराधिकारी घोषित किया. महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी आदित्&zwj;यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर बनें और उन्&zwj;हें महंत की पदवी दी गई. उसके बाद से ही वे गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को गुरु पूर्णिमा के दिन तिलक लगाकर उन्&zwj;हें आशीर्वाद दे रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुख्&zwj;यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर के कर्तव्&zwj;यों का कर रहे निर्वहन</strong><br />उत्&zwj;तर प्रदेश का दूसरी बार मुख्&zwj;यमंत्री बनने के बाद भी वे गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के कर्तव्&zwj;यों को नहीं भूलें हैं. वे हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन गोरक्षपीठ में उपस्थित रहते हैं. इस दिन वे तिलक हाल में गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा का बखूबी पालन भी करते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन वे शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को तिलक लगाकर उन्&zwj;हें उज्&zwj;ज्&zwj;वल भविष्&zwj;य का आशीर्वाद देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर से आशीर्वाद लेने वालों में मंदिर के संत, सेवक, भक्&zwj;तों, शिष्&zwj;यों और शुभचिंतकों के साथ सांसद और विधायक भी सम्मिलित होते हैं. इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन वे सदियों से चली आ रही इस परम्&zwj;परा का निर्वहन करेंगे. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p>
<figure class=”image”><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/21/8c0285dddc178385446e8ff1bf26987a1721524945101898_original.jpg” alt=”सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे सीएम योगी आदित्यनाथ” />
<figcaption>सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे सीएम <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a></figcaption>
</figure>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि गोरक्षपीठ की परंपरा, लोगों को शिष्य बनाने की नहीं है, लेकिन देश-विदेश में रहने वाले लोगों की भी आस्&zwj;था इससे जुड़ी है. वे साल में एक बार गुरु पूर्णिमा पर आकर अपने गुरु के रूप में पीठाधीश्&zwj;वर का तिलक के रूप में आशीर्वाद जरूर लेते हैं. उत्तर भारत की प्रमुख व प्रभावी पीठ और अपने व्यापक सामाजिक सरोकारों के नाते इस पीठ के प्रति लाखों-करोड़ों लोगों की स्वाभाविक सी श्रद्धा है. गोरखपुर या यूं कह लें कि पूर्वांचल की तो यह अध्यक्षीय पीठ है. पीठ का हर निर्णय अमूमन हर किसी को स्वीकार्य होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>खिचड़ी मेला, गुरुपूर्णिमा और अन्य मौकों पर दिख जाती है ये श्रद्धा</strong><br />समय-समय पर पीठ के प्रति यह श्रद्धा दिखती भी है. मकर संक्रांति से शुरू होकर करीब एक माह तक चलने वाला खिचड़ी मेला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है. इस दौरान नेपाल, बिहार से लगायत देश भर के लाखों श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ को, मौसम की परवाह किए बिना अपनी श्रद्धा निवेदित करने आते हैं. कुछ मन्नत पूरी होने पर आते हैं, कुछ नई मन्नत मांगने भी गुरु पूर्णिमा के दिन भी जो भी पीठाधीश्वर रहता है, उसके प्रति श्रद्धा निवेदित करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी तरह हर सितंबर में साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के दौरान अपने गुरुओं को पीठ याद करती है. उनके कृतित्व, व्यक्तित्व, सामाजिक सरोकारों, देश के ज्वलंत मुद्दों पर अलग-अलग दिन संत और विद्वत समाज के लोग चर्चा करते हैं. यह एक तरीके से गुरुजनों को याद करने के साथ उनके संकल्पों को पूरा करने की भी प्रतिबद्धता होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shri-devkinandan-thakur-react-on-kanwar-yatra-controversy-and-supported-cm-yogi-2741995″><strong>’मक्का-मदीना में भी मुस्लिम…’, कांवड़ यात्रा के विवाद पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का बड़ा बयान</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Gorakhpur News:</strong> गुरु पूर्णिमा का दिन सदियों से चली आ रही गुरु और शिष्&zwj;य की परम्&zwj;परा का वाहक है. इस दिन जहां शिष्&zwj;य अपने गुरुओं को नमन करते हैं और उन्&zwj;हें गुरु दक्षिणा स्&zwj;वरूप उपहार देते हैं. तो वहीं गुरु भी शिष्&zwj;य को उनके उज्&zwj;ज्&zwj;वल भविष्&zwj;य की शुभकामना और आशीर्वाद देकर कृतार्थ करते हैं. गोरक्षपीठ के लिए ये दिन खास है. सदियों से इस पीठ में गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्&zwj;य अपने गुरु का नमन करते हैं. मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के रूप में संतो, शिष्&zwj;यों, भक्&zwj;तों और शुभचिंतकों को तिलक लगाकर उन्&zwj;हें आशीर्वाद देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्&zwj;तर प्रदेश के मुख्&zwj;यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत योगी आदित्&zwj;यनाथ शनिवार को &nbsp;गोरखपुर पहुंच चुके हैं. रविवार को एक सप्&zwj;ताह से चल रही श्रीराम कथा सम्&zwj;पन्&zwj;न होगी. इसके बाद को दोपहर 11.30 बजे गोरक्षपीठ के महंत के रूप में मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु गोरखनाथ बाबा का पूजन-अर्चन और पितातुल्&zwj;य गुरु ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर जाकर उन्&zwj;हें नमन कर आशीर्वाद लेंगे. गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर महंत योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के रूप में मंदिर में आए अपने शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्&zwj;मृति सभागार में आशीर्वचन भी देंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीठाधीश्वर की भूमिका का करेंगे निर्वहन&nbsp;</strong><br />इस दिन मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ जहां शिष्&zwj;यों को तिलक लगाकर पीठाधीश्&zwj;वर की भूमिका का निर्वहन करेंगे. तो वहीं वे विशेष दंडाधिकारी की भी भूमिका में रहेंगे. वे नाथ संप्रदाय के संत-महंतों की समस्&zwj;याओं का निस्&zwj;तारण भी करेंगे. विशेष दंडाधिकारी की भूमिका में उनका निर्णय नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी संत-महंत को मान्&zwj;य होगा. उनके निर्णय के आगे कोई कही भी अपील नहीं कर सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गोरखनाथ मंदिर में सुबह 5 बजे से ही गुरु पूर्णिमा का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा. मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ गुरु पूर्णिमा की सुबह 5 बजे महायोगी गुरु गोरखनाथ का पूजन कर रोट का प्रसाद चढ़ाएंगे. उसके बाद मुख्&zwj;यमंत्री मंदिर के सभी देव विग्रहों की पूजा अर्चना करेंगे. सुबह 6.30 बजे से 7 बजे तक सामूहिक आरती का कार्यक्रम सम्&zwj;पन्&zwj;न होगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस कार्यक्रम में गोरखनाथ मंदिर के सभी पुजारी और मंदिर के निकट सहयोगी शामिल होंगे. सुबह 10 बजे से 11 बजे तक स्&zwj;मृति सभागार कार्यक्रम होंगे. उसके बाद 11.30 बजे मुख्&zwj;यमंत्री योगी आदित्&zwj;यनाथ के आगमन के बाद गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा के तिलक और आशीर्वचन का कार्यक्रम सम्&zwj;पन्&zwj;न होगा. उसके बाद मंदिर परिसर में सहभोज आयोजित होगा. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नाथ सम्&zwj;प्रदाय में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व</strong><br />गोरक्षपीठ और नाथ सम्&zwj;प्रदाय में गुरु पूर्णिमा और गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा का विशेष महत्&zwj;व है. सदियों से ये परम्&zwj;परा चली आ रही है. कालान्&zwj;तर में बाबा मत्&zwj;स्&zwj;येन्&zwj;द्र नाथ ने गुरु गोरखनाथ को दीक्षा दी थी. उसी प्रकार बाबा गंभीरनाथ के बाद से ये क्रम लगातार जारी है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को अपना उत्&zwj;तराधिकारी घोषित किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर बनें. उसके बाद उन्&zwj;होंने योगी आदित्&zwj;यनाथ को अपना दत्&zwj;तक पुत्र और शिष्&zwj;य बनाकर उन्&zwj;हें उत्&zwj;तराधिकारी घोषित किया. महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी आदित्&zwj;यनाथ गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर बनें और उन्&zwj;हें महंत की पदवी दी गई. उसके बाद से ही वे गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को गुरु पूर्णिमा के दिन तिलक लगाकर उन्&zwj;हें आशीर्वाद दे रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुख्&zwj;यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर के कर्तव्&zwj;यों का कर रहे निर्वहन</strong><br />उत्&zwj;तर प्रदेश का दूसरी बार मुख्&zwj;यमंत्री बनने के बाद भी वे गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर के कर्तव्&zwj;यों को नहीं भूलें हैं. वे हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन गोरक्षपीठ में उपस्थित रहते हैं. इस दिन वे तिलक हाल में गुरु-शिष्&zwj;य परम्&zwj;परा का बखूबी पालन भी करते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन वे शिष्&zwj;यों और भक्&zwj;तों को तिलक लगाकर उन्&zwj;हें उज्&zwj;ज्&zwj;वल भविष्&zwj;य का आशीर्वाद देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर गोरक्षपीठाधीश्&zwj;वर से आशीर्वाद लेने वालों में मंदिर के संत, सेवक, भक्&zwj;तों, शिष्&zwj;यों और शुभचिंतकों के साथ सांसद और विधायक भी सम्मिलित होते हैं. इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन वे सदियों से चली आ रही इस परम्&zwj;परा का निर्वहन करेंगे. &nbsp;</p>
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<figure class=”image”><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/21/8c0285dddc178385446e8ff1bf26987a1721524945101898_original.jpg” alt=”सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे सीएम योगी आदित्यनाथ” />
<figcaption>सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे सीएम <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a></figcaption>
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<p style=”text-align: justify;”>हालांकि गोरक्षपीठ की परंपरा, लोगों को शिष्य बनाने की नहीं है, लेकिन देश-विदेश में रहने वाले लोगों की भी आस्&zwj;था इससे जुड़ी है. वे साल में एक बार गुरु पूर्णिमा पर आकर अपने गुरु के रूप में पीठाधीश्&zwj;वर का तिलक के रूप में आशीर्वाद जरूर लेते हैं. उत्तर भारत की प्रमुख व प्रभावी पीठ और अपने व्यापक सामाजिक सरोकारों के नाते इस पीठ के प्रति लाखों-करोड़ों लोगों की स्वाभाविक सी श्रद्धा है. गोरखपुर या यूं कह लें कि पूर्वांचल की तो यह अध्यक्षीय पीठ है. पीठ का हर निर्णय अमूमन हर किसी को स्वीकार्य होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>खिचड़ी मेला, गुरुपूर्णिमा और अन्य मौकों पर दिख जाती है ये श्रद्धा</strong><br />समय-समय पर पीठ के प्रति यह श्रद्धा दिखती भी है. मकर संक्रांति से शुरू होकर करीब एक माह तक चलने वाला खिचड़ी मेला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है. इस दौरान नेपाल, बिहार से लगायत देश भर के लाखों श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ को, मौसम की परवाह किए बिना अपनी श्रद्धा निवेदित करने आते हैं. कुछ मन्नत पूरी होने पर आते हैं, कुछ नई मन्नत मांगने भी गुरु पूर्णिमा के दिन भी जो भी पीठाधीश्वर रहता है, उसके प्रति श्रद्धा निवेदित करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी तरह हर सितंबर में साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के दौरान अपने गुरुओं को पीठ याद करती है. उनके कृतित्व, व्यक्तित्व, सामाजिक सरोकारों, देश के ज्वलंत मुद्दों पर अलग-अलग दिन संत और विद्वत समाज के लोग चर्चा करते हैं. यह एक तरीके से गुरुजनों को याद करने के साथ उनके संकल्पों को पूरा करने की भी प्रतिबद्धता होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shri-devkinandan-thakur-react-on-kanwar-yatra-controversy-and-supported-cm-yogi-2741995″><strong>’मक्का-मदीना में भी मुस्लिम…’, कांवड़ यात्रा के विवाद पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का बड़ा बयान</strong></a></p> 

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