
सहरसा
न्यूज डेस्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान मे सोमवार की रात शरद पूर्णिमा उत्सव का आयोजन गंगजला चौक स्थित माया होटल परिसर में धूमधाम से आयोजित किया गया।नगर कार्यवाह श्रवण कुमार के संचालन में खेलकूद, योग व्यायाम,सामूहिक गीत, एकल गीत गायन किया गया।तत्पश्चात जिला संघचालक सतीश चंद्र वर्मा,नगर संघचालक ई रामेश्वर ठाकुर,एवं प्रदेश सम्पर्क प्रमुख विजय कुमार सिंह की उपस्थिति में जिला सेवा प्रमुख डा मुरारी कुमार द्वारा बौद्धिक दिया गया।इस अवसर पर उन्होने कहा कि अश्विन महिना का पुर्णिमा शरद पूर्णिमा मां शक्ति की उपासना के बाद शक्ति से संचालित तत्व व्रत के बाद जिसे हम शरद पूर्णिमा कहते हैं। मन के देवता का नाम है चंद्र जो अजस्र उर्जा का स्रोत है। हमारे संघ में 6 उत्सव में एक शरद पूर्णिमा का दो प्रकार से हम महत्व जान सकते हैं एक आध्यात्मिक महत्व है और दुसरा वैज्ञानिक महत्व है। आज के दिन मन के गति के मालिक ऊर्जा स्रोत चंद्र देव की पूजा आराधना करते हैं। उनसे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। और माता लक्ष्मी की भी पूजा होती खीर चढ़ाने की और खाने की दोनों देव से जुड़ी हुई है। माता लक्ष्मी को चावल की खीर अत्यंत प्रिय है।खीर उनका अत्यंत प्रिय भोज्य पदार्थ है। और आज के दिन वैज्ञानिक आधार पर जो है पृथ्वी से सबसे ज्यादा नजदीक चंद्रमा होती है। और सबसे ज्यादा ऊर्जा प्रदान करती है जब हमारे दूध से बने हुए भजन हम वैज्ञानिक रूप से जाते हैं तो हमारे दूध में क्या है लैक्टिक एसिड और स्टार्च उसे पर जब चंद्रमा के किरण पड़ती है तो वैज्ञानिक रूप से ऊर्जा की बहुत बड़ी स्रोत बनती है इसलिए आज खीर बनाया जाता है चंद्रमा के शीतल ऊर्जा के सामने में रखा जाता है और उसका पान किया जाता है।संघ के शताब्दी वर्ष स्वयंसेवकों के लिए पांच प्रण लेकर आया है।जिसके अंतर्गत समरसता,हिन्दु सम्मेलन, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण एवं नागरिक कर्तव्य का पालन करना है।इस अवसर पर ज्ञान प्रकाश दत्त, डॉक्टर संजय वशिष्ट, रतन कुमार सिंहा, मानस कुमार, पीयूष कुमार, रोशन कुमार, अविनाश कुमार, सुरेंद्र भगत, शंकर कुमार,पीयूष कुमा,मनोज कुमार,देवशंकर चौधरी,संतोष कुमार रवि कुमार,संजय तुलस्यान, सुभाष अग्रवाल,मोनू झा,सुभाष चन्द्र झा सहित अन्य मौजूद रहे।