अब मंदिरों से सांई बाबा की विदाई प्रारंभ: मनोज कुमार अग्रवाल

author
0 minutes, 6 seconds Read

यूपी की पवित्र नगरी वाराणसी में हिन्दू मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति को विस्थापित करने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। वाराणसी में सनातन रक्षक दल ने बिना किसी विरोध या प्रतिक्रिया के 14 मंदिरों से सांई बाबा की मूर्तियां हटा दीं। दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सनातन मंदिर में सनातन देवी-देवता होने चाहिए। समाजवादी पार्टी ने कहा- ये लोग काशी का माहौल खराब कर रहे हैं। हाल ही में शंकराचार्य ने सांई की मूर्ति लगाने और पूजा करने पर हिन्दुओं को चेताया और इसे सनातन के विपरीत करार देते हुए घोर आपत्ति जताई। पिछले दो दशकों में साईबाबा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है। आरोप है कि एक सोची समझी साजिश के तहत एक समुदाय विशेष के धनाढ्य लोगों और विदेशी फंड से न्यूज चैनलों पर सांई की महिमा का बखान करने वाले समाचार वीडियो प्रसारित कराए गए । साईं की पत्थर की प्रतिमा से आंसू निकलने के भी न्यूज वीडियो बना कर बाकायदा न्यूज चैनलों को पैसा देकर बार बार प्रसारित कराया गया। इसके अलावा सनातन धर्म, वैष्णो देवी व चार धाम तथा द्वादश शिवलिंग पूजा पर लगातार भक्ति गीत संगीत बनाकर टीसीरीज कंपनी से धार्मिक आस्था व श्रद्धा का अभियान चला रहे गुलशन कुमार की सरेआम माफियाओं के गुर्गों ने मुंबई की सड़कों पर दिनदहाड़े हत्या कर दी थी।

बताया जाता है कि इसके पीछे भी माता वैष्णो देवी में बढ़ते तीर्थयात्रियों और सनातन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कुछ लोगों के दिल पर सांप लोट रहा था और वह अन्य का प्रचार प्रसार करने के लिए मशहूर गायक और उसकी कंपनी को डरा धमका रहे थे। उनकी योजना सांई ट्रस्ट को देश व्यापी बना कर हर मंदिर में सांई की मूर्ति प्लांट करने की थी। गुलशन कुमार की हत्या के बाद इस षडयंत्र को बल मिला और भारत के धर्मभीरू हिन्दुओं के बीच सांई महिमा का साहित्य बांट कर गुरुवार को साईं व्रत के लिए उकसाया गया। स्थान स्थान पर सांई मंदिर व पुराने मंदिरों में सांई प्रतिमा स्थापित करायी गयी। देखते ही देखते शिरडी के सांई मंदिर पर तीर्थ जैसी भीड़ लगने लगी और देश भर के मंदिरों में सांई की मूर्ति लगाने का काम शुरू हो गया। हजारों मंदिरों में सांई मूर्ति लगा दी गई। इतना ही नहीं सांई बाबा को अखंड ब्रम्हांड नायक व सांई राम जैसे नाम व विशेषणों से भी नवाजा जाने लगा।

सांई के विरोधी और कट्टर हिन्दुओं का तर्क है कि ऐसे कई सूफी संत हुए हैं जिन्होंने राम-कृष्ण की भक्ति के माध्यम से हिन्दुओं को धीरे-धीरे इस्लाम के प्रति श्रद्धावान बनाया और अंततः उन्हें इस्लाम की ओर मोड़ दिया। आज भी ऐसे कई संत सक्रिय हैं। सांई बाबा भी इसी साजिश का एक हिस्सा है। ऐसे लोगों का तर्क है कि सांई अपना ज्यादातर वक्त मुस्लिम फकीरों के संग बिताते थे। वे कुछ महीनों तक अजमेर में भी रहे थे। वे पूर्णतः एक मुस्लिम फकीर थे और मुसलमानों की तरह ही उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन-यापन किया। सांई विरोधियों का सांई के बारे में तर्क है कि साई’ शब्द फारसी का है जिसका अर्थ होता है ‘संत’। उस काल में आमतौर पर भारत के पाकिस्तानी हिस्से में मुस्लिम संन्यासियों के लिए इस शब्द का प्रयोग होता था। शिर्डी में सांई सबसे पहले जिस मंदिर के बाहर आकर रुके थे उसके पुजारी ने उन्हें सांई कहकर ही संबोधित किया था। आरोप है कि सांई को हिन्दू धर्म ग्रंथों, शास्त्र और पुराणों का कोई ज्ञान नहीं था।

वह लगातार अल्लाह मालिक का जाप करते थे। वह एक मस्जिद में रहते थे वह इस निवास को द्वारकामाई कहते थे । वह इस्लामी सिद्धांतों पर विचार करने में समय बिताते थे और उनके साथी अब्दुल उन्हें कुरान की आयतें पढ़ाया करते थे। साईं बाबा की गैर-हिंदू विचारधारा की बढ़ती आलोचनाओं का मुकाबला करने के लिए, अनुयायियों ने यह दावा करते हुए सिद्धांत गढ़े कि उनका जन्म ब्राह्मण के रूप में हुआ था, लेकिन उन्हें त्याग दिया गया और बाद में मुसलमानों ने उन्हें गोद ले लिया।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुसलमान उन्हें कोई महत्व नहीं देते तथा उसे विधर्मी और गैर- इस्लामी बताकर उसकी निंदा करते हैं।केवल जादुई सोच से भ्रमित कमजोर इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति ही अपने जीवन में चमत्कार होने की आशा में सांई की पूजा करते हैं। ऐसा भी बताया जाता है कि वह शाकाहारी भी नहीं थे। बहरहाल इन दिनों यूपी के वाराणसी से मंदिर में बैठा कर पूजे जा रहे सांई बाबा को बेदखल करने का सिलसिला शुरू किया गया है। सांई की कुछ मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया गया और कुछ को उनके मंदिरों में पहुंचाया जा रहा है। सनातन रक्षक दल ने अभी 100 और मंदिरों की लिस्ट बनाई है।

यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें।तीन दिन पहले वाराणसी शहर के सबसे प्रमुख बड़ा गणेश मंदिर से सांई बाबा की मूर्ति को हटाकर गंगा में विसर्जित किया गया था। पुरुषोत्तम मंदिर से भी मूर्ति हटाई जा चुकी है। इसके अलावा कई मंदिरों में मूर्तियों को सफेद कपड़े में लपेट कर रख दिया गया है।
इस अभियान का आगाज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने किया था। अब सनातन रक्षक दल इस अभियान को आगे बढ़ा रहा है। बड़ा गणेश मंदिर के पास रहने वाले बुजुर्गों ने कहा कि ‘सांई बाबा की मूर्ति यहां से हटा दी गई है। अगर सनातन मंदिर में सांई की मूर्ति से आपत्ति थी तो उसे लगाना ही नहीं चाहिए था, अगर लगा दिया तो उसे सम्मान से हटाते।इस तरह गलियों में मूर्ति के टुकड़े फेंक देना उचित नहीं है। हालांकि टुकड़े मूर्ति के नहीं, बल्कि सिंहासन से जुड़े हैं। एक और बुजुर्ग ने कहा- इस तरह मूर्तियों को लगा कर उन्हें हटा देना गलत है।
इससे पहले बड़ी संख्या में सनातन रक्षक दल के सदस्य लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर पहुंचे थे। यह ऐतिहासिक मंदिर है, यहां रोज हजारों भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर परिसर में 5 फीट की सांई मूर्ति भी स्थापित थी। सनातन रक्षक दल के सदस्य यहां से सांई की मूर्ति को कपड़े में लपेटकर ले गए और गंगा में विसर्जित कर दिया।

विधान परिषद सदस्य और सपा नेता आशुतोष सिन्हा ने कहा, ‘बनारस आस्था का केंद्र है। आजकल नई-नई बातें सुनने को मिल रही हैं। इससे पहले लगातार पूजा होती रही है। मैं किसी धर्म या भगवान पर टिप्पणी नहीं कर रहा। समझ नहीं आ रहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी। आज बनारस की मुख्य समस्या सीवर-पानी है। गंगा के प्रदूषण पर बात नहीं हो रही। विकास के नाम पर यहां 50 से ज्यादा मंदिर तोड़े गए। इस पर चर्चा नहीं हुई। आखिर कब तक ऐसे मंदिर, मस्जिद, भगवान और सांई बाबा पर बात होगी। पढ़ाई-लिखाई, बनारस की तरक्की और रोजगार पर बात होनी चाहिए।’वहीं इस मुद्दे पर पुजारी बोले- जानकारी के अभाव में पूजा होती रही।

बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु ने कहा, ‘जानकारी के अभाव में सांई की पूजा हो रही थी। शास्त्र के अनुसार इनकी पूजा वर्जित है। जानकारी होने के बाद स्वेच्छा से प्रतिमा हटवा दी गई। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने कहा- शास्त्रों में कहीं भी सांई की पूजा का वर्णन नहीं मिलता है इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है।’ सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया,भक्तों की भावनाओं को देखते हुए ही शहर के मंदिरों से सांई प्रतिमा को हटवाने का अभियान चलाया जा रहा है। संभव है कि देश के कुछ अन्य राज्यों के शहर और कस्बों में भी सांई बाबा की बेदखली का सिलसिला शुरू हो सकता है। हालांकि इस बात को नहीं नकारा जा सकता है कि कालांतर में बेशक व्यापक प्रचार प्रसार के प्रभाव से प्रभावित हो कर ही सही करोड़ों लोगों की आस्था सांई से जुड़ी है । ऐसे में कारवाई करते हुए सांई के भक्तों की भावना का भी ध्यान रखना होगा और मूर्ति का विसर्जन या सम्मान जनक तरीके से निस्तारण करना चाहिए ताकि किसी की भावनाओं को ठेस न लगे। (विभूति फीचर्स)

Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

वाणीश्री न्यूज़ चैनल का अपील

नमस्कार।

हम निःस्वार्थ भाव से आपके समक्ष क्षेत्र की खबरों को वेब पोर्टल, यूट्यूब इत्यादि के माध्यम से प्रसारित करते हैं।

अपने आसपास की घटनाओं या खबरों को प्रकाशित कराने हेतु आप उस घटना या खबर को हमारे व्हाट्सएप नंबर 9580301317 पर भेज सकते हैं। या इसी माध्यम से हमसे जुड़ कर किसी प्रकार का विज्ञापन भी दे सकते हैं।

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि खबरों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें और यूट्यूब पर हमारे चैनल Vaanishree News

को सब्सक्राइब कर हमें मदद करें।


नमस्कार।

हम निःस्वार्थ भाव से आपके समक्ष क्षेत्र की खबरों को वेब पोर्टल, यूट्यूब इत्यादि के माध्यम से प्रसारित करते हैं।

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि खबरों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें और यूट्यूब पर हमारे चैनल Vaanishree News

को सब्सक्राइब कर हमें मदद करें।

This will close in 10 seconds

You cannot copy content of this page